नीरज चोपड़ा के पेरिस ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतने पर डॉ विवेक बिंद्रा ने शेयर किया एक खास वीडियो

भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर एक बार फिर देश का गौरव और मान बढ़ाया है। नीरज की इस सफलता पर मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा ने उन्हें बधाई दी और उनके अब तक के सफर के बारे में बताया।

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Sourabh Dubey
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भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर एक बार फिर देश का गौरव और मान बढ़ाया है. नीरज की इस सफलता पर मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा ने उन्हें बधाई दी और उनके अब तक के सफर के बारे में बताया.

नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के खांडरा गांव में हुआ. परिवार में 10 भाई-बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं, इसलिए बचपन से ही उन्हें सब बड़ों का सबसे ज्यादा लाड प्यार मिला. इसी लाड प्यार के चलते महज़ 11 साल की उम्र में ही उनका वजन 80 किलो तक पहुंच गया था. और इसी वजन को कम करने के लिए उनके परिवार ने उन्हें स्पोर्ट्स में डालने का सोचा और आज, 80 किलो के बच्चे से 'गोल्डन बॉय' बनने तक की उनकी प्रेरणादायक सफर हमारे सामने है.

डिप्रेशन बना नीरज के गोल्डन बॉय बनने की वजह

बचपन में नीरज चोपड़ा का बढ़ा हुआ वजन उनके लिए समस्या बन गया था, उन्हें अक्सर चिढ़ाया और परेशान किया जाता था. इस मानसिक तनाव के कारण नीरज जल्दी ही डिप्रेशन में चले गए. उन्हें इस मुश्किल स्थिति से बाहर निकालने के लिए उनके चाचा ने उन्हें खेलों की ओर मोड़ने का फैसला किया. उनके चाचा चाहते थे कि नीरज क्रिकेट या फुटबॉल खेलें ताकि उनका वजन कम हो सके. लेकिन साथी खिलाड़ियों द्वारा चिढ़ाए जाने के डर से, नीरज ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंकने) को चुना, क्योंकि इसमें उन्हें अकेले खेलना होता. शुरुआत में नीरज के परिवार को उनका ये फैसला कुछ ख़ास पसंद नहीं आया लेकिन नीरज अपने फैसले पर अडिग रहते हुए इस खेल में जमकर मेहनत करते रहे. केवल दो साल में ही वे स्टेट लेवल के चैंपियन बन गए. अब, उनकी सफलता के अगले कदम के लिए एक अच्छे कोच की जरूरत थी जो उन्हें इस खेल से जुड़ी टेक्निक्स के बारे में बता पता.

मोबाइल खरीदने के लिए करना पड़ा था ढाबे पर काम

ऐसे में, नीरज ने जैवलिन थ्रो की टेक्निक्स को यूट्यूब पर सीखने का निर्णय लिया, लेकिन सबसे बड़ी बाधा यह थी कि उनके पास मोबाइल नहीं था. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, नीरज ने पंचकुला के एक ढाबे पर काम करने का फैसला किया. ढाबे में काम करके उन्होंने पैसे जमा किए और उन पैसों से एक मोबाइल खरीदा. इस मोबाइल की मदद से उन्होंने यूट्यूब पर खेल से जुड़ी टेक्निक्स को सीखना शुरू किया.

नीरज चोपड़ा की मेहनत का फल पूरे देश ने तब देखा जब 7 अगस्त 2020 को उन्होंने भारत को टोक्यो ओलंपिक्स में पहला गोल्ड मेडल दिलाया. लेकिन इस ऐतिहासिक जीत से पहले, उन्हें एक दर्दनाक स्थिति से जूझना पड़ा था.

 ट्रेनिंग के दौरान लगी थी कोहनी पर चोट, डॉक्टर ने किया था खेलने से मना

टोक्यो ओलंपिक्स की तैयारी के दौरान नीरज ट्रेनिंग करते समय गिर गए और उनकी कोहनी पर गंभीर चोट लग गई. यह वही हाथ था जिससे वो जैवलिन फेंकते थे, और अब उसी हाथ से वे चम्मच भी नहीं उठा पा रहे थे. 

इसके बाद भी नीरज ने हार नहीं मानी और कोहनी ठीक होने तक अपने बाकी के शरीर की ट्रेनिंग जारी रखी. नतीजा ये हुआ कि वो भारत के लिए पहला गोल्ड लेकर आए और  भारत के गोल्डन बॉय बने.  आज देशभर में  7 अगस्त को नेशनल जैवलिन डे मनाया जाता है.

यूटयूब चैनल पर जाकर देख सकते हैं.

 अब एक बार फिर ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर नीरज ने इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज कर लिया है. डॉ विवेक बिंद्रा ने नीरज चोपड़ा को उनकी इस जीत पर बधाई देने के साथ ही उनके सफ़र से जुड़ी कुछ खास कहानियां अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर की है, नीरज चोपड़ा से जुड़ी ये खास वीडियो आप डॉ विवेक बिंद्रा के यूटयूब चैनल पर जाकर देख सकते हैं.

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