वीर शहीदों को नमन: दक्षिणी कमान ने पुणे में मनाया विजय दिवस

दक्षिणी कमान ने पुणे युद्ध स्मारक पर विजय दिवस मनाया। लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने पुष्पचक्र अर्पित कर 1971 युद्ध के शहीदों को नमन किया, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों को सम्मानित किया।

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Sartaj Singh
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लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ द्वारा पुणे दक्षिणी कमान युद्ध स्मारक पर विजय दिवस 2025 पुष्पचक्र अर्पण

विजय दिवस 2025: दक्षिणी कमान पुणे में 1971 युद्ध शहीदों को श्रद्धांजलि और पूर्व सैनिक सम्मान

दक्षिणी कमान ने विजय दिवस को परंपरागत सैन्य गरिमा, अनुशासन और श्रद्धा के साथ पुणे स्थित दक्षिणी कमान युद्ध स्मारक पर मनाया। यह आयोजन 1971 के भारत–पाक युद्ध में भारत की ऐतिहासिक और निर्णायक विजय की स्मृति में आयोजित किया गया, जिसने देश के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, पीवीएसएम, एवीएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी कमान ने समारोह का नेतृत्व किया। कार्यक्रम में भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के सेवारत अधिकारी, जवान तथा बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक मौजूद रहे।

समारोह का मुख्य आकर्षण युद्ध स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पण रहा। लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने दक्षिणी कमान के सभी रैंकों की ओर से स्मृति पुष्पचक्र अर्पित कर देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को नमन किया। इस दौरान 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया।

विजय दिवस के अवसर पर 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों सहित वेटरन्स को सम्मानित किया गया। उनके अदम्य साहस, समर्पण और देश के लिए दिए गए योगदान को विशेष रूप से सराहा गया। इसके साथ ही वीर नारियों को भी सम्मानित किया गया, जो त्याग, धैर्य और राष्ट्रसेवा की अमिट मिसाल हैं। यह सम्मान समारोह भारतीय सेना की अपने पूर्व सैनिकों और शहीद परिवारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

कार्यक्रम के समापन पर दक्षिणी कमान संग्रहालय परिसर में सेना कमांडर, सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों के बीच संवाद आयोजित किया गया। इस अवसर ने पीढ़ियों के बीच सेवा, बलिदान और विजय की साझा विरासत को और मजबूत किया।

विजय दिवस का यह आयोजन न केवल 1971 की ऐतिहासिक जीत को स्मरण करने का अवसर था, बल्कि यह संदेश भी देता है कि वीर शहीदों का बलिदान और उनकी गौरवशाली गाथाएं आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।

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