70th Independence Day: एक नई सुबह की तलाश है..

गर्व हो रहा है। मै खुशी से फूला नही समा रहा हूं। देश आजादी की 70वी वर्षगांठ मना रहा है। इस पावन बेला पर देशवासियों को शुभकामनाऐं देना चाहता हूं। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने फिर देश को सम्बोधित किया। देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर संदेह नही है। लेकिन आज मेरे कुछ सवाल नीति निर्माताओं से। ऐसा क्यों है कि आजादी के 70 सालों बाद भी देश की आबादी का एक बडा हिस्सा आज भी गरीब है? एक तिहाई आबादी को दो समय की रोटी नसीब नहीं। मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। देश का एक बड़ा तबका शिक्षा, स्वास्थ, पानी, बिजली, सड़क और आवास से आज भी क्यों वंचित है? क्या नीति निर्माताओं के पास इसका कोई जवाब है। ये कैसी आज़ादी। हम किस आज़ादी का जश्न मना रहे।

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Ankit Pal
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70th Independence Day: एक नई सुबह की तलाश है..

70th Independence Day: एक नई सुबह की तलाश है

जलाओं दिये पर, रहे ध्यान इतना।
अंधेरा घना कहीं रह न जाए।

गर्व हो रहा है। मै खुशी से फूला नही समा रहा हूं। देश आजादी की 70वी वर्षगांठ मना रहा है। इस पावन बेला पर देशवासियों को शुभकामनाऐं देना चाहता हूं। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने फिर देश को सम्बोधित किया। देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर संदेह नही है। लेकिन आज मेरे कुछ सवाल नीति निर्माताओं से। ऐसा क्यों है कि आजादी के 70 सालों बाद भी देश की आबादी का एक बडा हिस्सा आज भी गरीब है? एक तिहाई आबादी को दो समय की रोटी नसीब नहीं। मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। देश का एक बड़ा तबका शिक्षा, स्वास्थ, पानी, बिजली, सड़क और आवास से आज भी क्यों वंचित है? क्या नीति निर्माताओं के पास इसका कोई जवाब है। ये कैसी आज़ादी। हम किस आज़ादी का जश्न मना रहे।

ये क्या महान देशभक्त सेनानियों का अपमान नही। क्या इसी दिन के लिए उन्होने कुर्बानी दी थी। आजाद भारत की उनकी कल्पना का ये मखौल है। देश में 30 करोड जनता आज भी गरीब है। 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र से आते है। 77 फीसदी आबादी की दिन में औसतन कमाई 20 रूपये है। 41 फीसदी किसान विकल्प मिलने पर किसानी छोडना चाहते है। पिछले कुछ सालों में 3 लाख से ज्यादा किसान हालात से हार मानकर आत्महत्या कर चुके है। 42 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं तो 69 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। एक करोड़ से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी को विवश हैं।

बेरोजगारी चरम पर है। आधी आबादी खुले में शौच के लिए जाती है। आबादी के बडे हिस्से के पास पीने का साफ पानी नही है। भ्रष्टाचार ने पूरे देश को अपनी गिरफ़्त में ले रखा है। महंगाई आम आदमी के थाली से निवाला छीन रही है। आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद आज भी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। फिर भी आजादी का जश्न। देश की तस्वीर तकदीर बदलने का सब्जबाग। विकास का फायदा हर व्यक्ति तक पहुचाने का वादा। मगर ये फायदा कैसे पहुंचेगा इसपर क्यों नहीं दिखता कोई फौलादी इरादा।

मगर मुल्क की तस्वीर तभी बदलेगी जब हम बदलेंगे। अधिकारों के लिए चिल्लाने के बजाय जिम्मेदारी से काम करेंगे। देश के हालत सरकारें नही बदलती?  जनता बदलती है। देश स्मार्ट तब बनता है जब जनता स्मार्ट होती है। इसलिए हम सब को देश के विकास के यज्ञ में आहूति देनी होगी। कवि की इन पंक्तियों के साथ लेखनी को विराम।

गहरा जाता है अंधेरा, हर रात निगल जाती एक सुनहरा सवेरा।
फिर भी मुझे सृजन पर विश्वास है, एक नई सुबह की मुझे तलाश है।

जय हिन्द

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