जलाओं दिये पर, रहे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ इतना।
अंधेरा घना कहीं रह न जाà¤à¥¤
गरà¥à¤µ हो रहा है। मै खà¥à¤¶à¥€ से फूला नही समा रहा हूं। देश आजादी की 70वी वरà¥à¤·à¤—ांठमना रहा है। इस पावन बेला पर देशवासियों को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚ देना चाहता हूं। लालकिले की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤° से पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मोदी ने फिर देश को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ किया। देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ पर संदेह नही है। लेकिन आज मेरे कà¥à¤› सवाल नीति निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं से। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है कि आजादी के 70 सालों बाद à¤à¥€ देश की आबादी का à¤à¤• बडा हिसà¥à¤¸à¤¾ आज à¤à¥€ गरीब है? à¤à¤• तिहाई आबादी को दो समय की रोटी नसीब नहीं। मूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की घोर कमी है। देश का à¤à¤• बड़ा तबका शिकà¥à¤·à¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥, पानी, बिजली, सड़क और आवास से आज à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वंचित है? कà¥à¤¯à¤¾ नीति निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं के पास इसका कोई जवाब है। ये कैसी आज़ादी। हम किस आज़ादी का जशà¥à¤¨ मना रहे।
ये कà¥à¤¯à¤¾ महान देशà¤à¤•à¥à¤¤ सेनानियों का अपमान नही। कà¥à¤¯à¤¾ इसी दिन के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ दी थी। आजाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ की उनकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ का ये मखौल है। देश में 30 करोड जनता आज à¤à¥€ गरीब है। 40 करोड़ लोग असंगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से आते है। 77 फीसदी आबादी की दिन में औसतन कमाई 20 रूपये है। 41 फीसदी किसान विकलà¥à¤ª मिलने पर किसानी छोडना चाहते है। पिछले कà¥à¤› सालों में 3 लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ किसान हालात से हार मानकर आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ कर चà¥à¤•à¥‡ है। 42 फीसदी बचà¥à¤šà¥‡ कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ का शिकार हैं तो 69 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। à¤à¤• करोड़ से अधिक बचà¥à¤šà¥‡ बाल मज़दूरी को विवश हैं।
बेरोजगारी चरम पर है। आधी आबादी खà¥à¤²à¥‡ में शौच के लिठजाती है। आबादी के बडे हिसà¥à¤¸à¥‡ के पास पीने का साफ पानी नही है। à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° ने पूरे देश को अपनी गिरफ़à¥à¤¤ में ले रखा है। महंगाई आम आदमी के थाली से निवाला छीन रही है। आतंकवाद, नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ और उगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ आज à¤à¥€ आंतरिक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठखतरा है। फिर à¤à¥€ आजादी का जशà¥à¤¨à¥¤ देश की तसà¥à¤µà¥€à¤° तकदीर बदलने का सबà¥à¤œà¤¬à¤¾à¤—। विकास का फायदा हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ का वादा। मगर ये फायदा कैसे पहà¥à¤‚चेगा इसपर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिखता कोई फौलादी इरादा।
मगर मà¥à¤²à¥à¤• की तसà¥à¤µà¥€à¤° तà¤à¥€ बदलेगी जब हम बदलेंगे। अधिकारों के लिठचिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के बजाय जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से काम करेंगे। देश के हालत सरकारें नही बदलती? जनता बदलती है। देश सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ तब बनता है जब जनता सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ होती है। इसलिठहम सब को देश के विकास के यजà¥à¤ž में आहूति देनी होगी। कवि की इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ लेखनी को विराम।
गहरा जाता है अंधेरा, हर रात निगल जाती à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¤¾ सवेरा।
फिर à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ सृजन पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है, à¤à¤• नई सà¥à¤¬à¤¹ की मà¥à¤à¥‡ तलाश है।
जय हिनà¥à¤¦