सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ हर किसी के लिये अलग-अलग है। यह हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाज और परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिये अलग तरह से परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ की जाती है। लेकिन यहां जब देश की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की बात आती है तो राजनीतिक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ और वहां की जनता के अधिकारों की बात होती है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ को आज़ाद हà¥à¤ 70 साल हो गठहैं। à¤à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के कालखंड में ये समय बहà¥à¤¤ ही कम होता है। लेकिन किसी देश की दशा और दिशा को समà¤à¤¨à¥‡ के लिये ये काफी होता है। आज हम विदेशी शासन के अधीन नहीं हैं, जाहिर है कि अपने राजनीतिक फैसले हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लेते हैं। लेकिन जब तक देश में पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤° पूरी तरह से सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नहीं होता तब तक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ अधूरी है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤° तो है लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आम आदमी के अधिकार पूरी तरह से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं? कà¥à¤¯à¤¾ समाज के दबे, कमज़ोर और गरीब अपने अधिकारों का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर पाते हैं ? हमें देखना होगा कि समाज के सà¤à¥€ वरà¥à¤— को अपने अधिकारों की जानकारी हो, उसे पता हो कि गरीब या कमज़ोर होने के बाद à¤à¥€ उसके कानूनी और सामाजिक अधिकार उतने ही सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं जितने कि किसी अमीर या पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¤¾ संपनà¥à¤¨ लोगों के होते हैं। यानि जब आपको इंसाफ के लिये लड़ना पड़े तो आजादी पर सवाल खड़ा होता है।
समाज में समानता हो और ये समानता देश के संविधान और कानून की नज़रों में होनी ज़रूरी है। यानि जाति, धरà¥à¤® और लिंग के आधार पर कोई à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ न हो। उसके मूलà¤à¥‚त अधिकारों का हनन न हो। लेकिन अपने अधिकारों की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये हम दूसरे का अहित न करें ये à¤à¥€ सोचना होगा। तà¤à¥€ सही अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में समानता आ सकती है। महज़ कानून बनाने à¤à¤° से समानता नहीं आयेगी। न ही à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ कम होगा। ये तà¤à¥€ होगा जब समाज के हर तबके में शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हो और सबको शिकà¥à¤·à¤¾ का समान अवसर मिले।
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का à¤à¤• अरà¥à¤¥ आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ है। अरà¥à¤¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और नोबेल विजेता अमरà¥à¤¤à¥à¤¯ सेन ने अपनी किताब Development as Freedom में कहा है कि किसी देश या समाज का विकास उस देश की जीडीपी, तकनीकी पà¥à¤°à¤—ति और अधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ से तय किया जाता है, लेकिन सामाजिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚, राजनीतिक व नागरिक अधिकार महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारक हैं, जो विकास के रूप में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की संकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करते हैं। उनका कहना है कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में विकास के बावजूद आरà¥à¤¥à¤¿à¤• विपनà¥à¤¨à¤¤à¤¾ के कारण समाज का à¤à¤• बड़ा वरà¥à¤— मूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ से वंचित है। इसलिये आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति à¤à¥€ चाहिये और इसके लिये समान आरà¥à¤¥à¤¿à¤• अवसर की दरकार है। जाहिर है देश की सतà¥à¤¤à¤¾ संà¤à¤¾à¤² रहे लोगों को सबके लिये रोज़गार के समान अवसर उपलबà¥à¤§ कराने होंगे।
देश की आधी आबादी महिलाओं की है मगर समाज उनको या तो उनके अधिकारों से वंचित रखता है या तो सवाल उनपर सवाल उठाता है। नतीजतन मरà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मानसिकता वाले समाज में महिलाओं को अपने अधिकारों की लड़ाई खà¥à¤¦ लड़नी पड़ती है। महिलाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिये समाज खà¥à¤¦ ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बचपन से ही लड़के-लड़की में à¤à¥‡à¤¦ किया जाता है। चाहे वो सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ हो या फिर पढ़ाई-लिखाई या फिर रोजगार की बात हो। समाज में आज à¤à¥€ लड़की पैदा होने पर मातम मनाया जाता है और à¤à¥à¤°à¥‚ण हतà¥à¤¯à¤¾ तक की जाती है। अपने मन से शादी कर लेने पर ऑनर के नाम पर लड़कियों की हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी जाती है। समाज को ये सारी दीवारें गिरानी होंगी। लेकिन सदियों से चली आ रही परंपराओं को à¤à¤• बार में खतà¥à¤® कर देना संà¤à¤µ तो नहीं पर बदलाव की अलख जलानी à¤à¥€ ज़रूरी है। इसके लिये लड़कियों की शिकà¥à¤·à¤¾ पर सिरे से धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना होगा। शिकà¥à¤·à¤¾ ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° बनायेगी।
दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° आज à¤à¥€ जारी है तमाम कानूनों के बावजूद वो अधिकारों से वंचित हैं। तमाम राजनीतिक दल जो दलित राजनीति करते हैं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वोट बैंक की तरह इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया है। लेकिन शिकà¥à¤·à¤¾ और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वो अब à¤à¥€ पीछे हैं। उसी तरह से अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ को लेकर देश का हर राजनीतिक दल राजनीति करता है लेकिन विकास के गà¥à¤°à¤¾à¤« में वे हाशिये पर हैं। अगर समाज के ये हिसà¥à¤¸à¥‡ पिछड़े रह जाते हैं तो समानता का सपना अधूरा रहेगा।
डॉ. à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ अंबेडकर ने समाज के सà¤à¥€ वरà¥à¤—ों के लिये सामाजिक, राजनैतिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पर बल दिया है। उनके शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ मे “ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का मतलब हमेशा से ही समानता, समान अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤¤à¤¿ रहा। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। ” अंबेडकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ की समानता पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते थे। उनका विचार था कि “ यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ समान है तो सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में समान सतà¥à¤µ है और वह समान सतà¥à¤µ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मौलिक अधिकार व समान सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का अधिकारी बनाता है। ”
हज़ारों देशवासियों ने अपना बलिदान देकर हमें विदेशी शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से ये आज़ादी दिलाई है। इसके लिये हमें सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ और अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में सामंजसà¥à¤¯ के महतà¥à¤µ को समà¤à¤¨à¤¾ होगा। इनके संतà¥à¤²à¤¨ से ही समाज में समानता और समरसता लाई जा सकती है और वही सचà¥à¤šà¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ à¤à¥€ होगी।