70 Stories of Independent India - Part 4

भारत आज़ादी के बाद से ही अपने पड़ोसियों ख़ासकर पाकिस्तान के निशाने पर रहा है। हालांकि जब-जब अंतरराष्ट्रीय शक्ति से मिलकर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ गोलबंदी की है, उसे मुंह की खानी पड़ी। सन् 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया और बॉर्डर से सटे कुछ हिस्सों को अपने कब्जे में ले लिया। लेकिन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सेना को खुली छूट दी और तीन हफ्तों तक चली लड़ाई में भारत की जीत पक्की थी। 23 सितंबर, 1965 को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने युद्ध में दखल दिया और सीजफायर हुआ। पाकिस्तान को भारत से समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा और इस समझौते के लिए सोवियत रूस का शहर ताशकंद को चुना गया। तब तक भारतीय सेना पाकिस्तान के कई हिस्सों पर कब्जा कर चुकी थी। लाल बहादुर शास्त्री कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ना नहीं चाहते थे । हालांकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान इस पर अड़े थे। 6 दिनों की माथापच्ची के बाद 10 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया। लेकिन उसी रात उन्हें दिल का दौरा पड़ा और देश के दूसरे प्रधानमंत्री की मौत हो गई।

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Pradeep tripathi
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