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70 Stories of Independent India-Part 5

आज़ाद हिंदुस्तान की सियासत में 70 का दशक काफी अहम माना गया। इस दौर में इमरजेंसी का काला अध्याय लिखा गया, तो आजादी के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। राजनेता जयप्रकाश नारायण 'लोकनायक' कहलाए, तो कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से गुजरी। 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी अदालत के आगे मजबूर दिखीं। वहीं परमाणु परीक्षण की गूंज से अमेरिका सन्न रह गया। भारत शक्तिशाली देशों में गिना जाने लगा।

News Nation Bureau | Updated : 19 August 2016, 10:54:45 AM
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आज़ाद हिंदुस्तान की सियासत में 70 का दशक काफी अहम माना गया। इस दौर में इमरजेंसी का काला अध्याय लिखा गया, तो आजादी के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। राजनेता जयप्रकाश नारायण 'लोकनायक' कहलाए, तो कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से गुजरी। 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी अदालत के आगे मजबूर दिखीं। वहीं परमाणु परीक्षण की गूंज से अमेरिका सन्न रह गया। भारत शक्तिशाली देशों में गिना जाने लगा।

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भारत ने 18 मई, 1974 को परमाणु परीक्षण किया। हिंदुस्तान की ताकत दुनिया के मंच पर दिखाने वाली इंदिरा गांधी को आयरन लेडी कहा जाने लगा। लेकिन 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को तगड़ा झटका लगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली सीट पर 1971 के संसदीय चुनाव में धांधली का दोषी करार दिया। उनपर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी गई।

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हाईकोर्ट के फैसले ने विपक्ष में नई जान फूंक दी। हालांकि 25 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद पर बनी रह सकती हैं। जय प्रकाश नारायण (जेपी) नैतिकता के आधार पर इंदिरा गांधी से इस्तीफा मांग रहे थे।

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25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। इसमें राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया। शाम 5:30 बजे राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी ऑर्डर पर दस्तखत कर दिए। प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई। विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यह सिलसिला 18 जनवरी 1977 तक चला। इसी दिन राष्ट्रपति शासन हटाया गया था।

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जेपी ने राष्ट्रपति शासन को इंदिरा की 'तानाशाही' करार देते हुए 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया। विपक्ष की एकजुटता और जनता की नाराज़गी ने इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। केंद्र में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार यानि 'जनता पार्टी' की सरकार बनी।

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जनता पार्टी में कांग्रेस (ओ), भारतीय लोकदल, जनसंघ और सोशलिस्ट पार्टी जैसे दल थे। इन दलों ने मिलकर मोरारजी देसाई को नेता चुना। लेकिन चौधरी चरण सिंह की बग़ावत के कारण जनता पार्टी की सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। जुलाई 1977 में मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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जनता पार्टी में फूट ने कई दलों को जन्म दिया। 1980 में जनसंघ नए कलेवर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नाम से आई। इसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपयी बने।

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इंदिरा गांधी ने चौधरी चरण सिंह को बाहर से समर्थन दिया और वह प्रधानमंत्री बने। बाद में इंदिरा गांधी ने चरण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अगले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान सरकार गिर गई। देश में पहली बार मध्यावधि चुनाव का एलान हुआ। महंगाई और अराजकता से त्रस्त जनता ने 351 सीटों पर भारी जीत के साथ इंदिरा गांधी को एक बार फिर प्रधानमंत्री चुना।

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80 के दशक में हिंदुस्तान के सामने कई चुनौतियां थी। लेकिन सियासत से अलग इस दौर में हिंदुस्तान आसमान छू लेने को बेताब था। इसी दशक में मॉस्को ओलंपिक में हॉकी टीम ने गोल्ड जीता और पुराना गौरव हासिल किया। बैडमिंटन में प्रकाश पादुकोण ने दुनिया में भारत का सर ऊंचा किया। खेलों के साथ आईटी की दुनिया भी हिंदुस्तान में आंखें खोलने लगी। इंफोसिस की बुनियाद पड़ी।

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1983 में मनोरंजन के क्षेत्र में भारत ने काफी कुछ किया। कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता। वो जीत हिंदुस्तान की शान में सबसे बड़ा खिताब साबित हुई।

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1984 में भारत ने पहली बार अंतरिक्ष में कदम रखा। स्क्वाड्रॉन लीडर राकेश शर्मा ने सोवियत रूस के साथ हिंदुस्तान के साझा स्पेश मिशन पर अंतरिक्ष में कदम रखा था। भारत का वो अभियान हिंदुस्तान में संचार और स्पेश मिशन के लिए वरदान साबित हुआ।

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