जिस आज़ादी का हम जशà¥à¤¨ मना रहे हैं, वो सालों के संघरà¥à¤· और हज़ारों शहादत के बाद 15 अगसà¥à¤¤ 1947 को मिली। जहां à¤à¤• तरफ 200 सालों से पड़ी गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की बेड़ियों से मिली आजादी की खà¥à¤¶à¥€ थी तो वहीं दूसरी तरफ बंटवारे का ग़म à¤à¥€... बंगाल से पंजाब तक हिंसा की आग में जल रहा था... और इसके बीच आज़ाद हिंनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पहले पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जवाहर लाल नेहरॠने पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पद की शपथ ली और सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ का तिरंगा फहराया।
इंडिया गेट पर 5 लाख à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के जय-जयकार से आसमान गूंज उठा... बंटवारे और दंगे के दरà¥à¤¦ से आहत बापू इस जशà¥à¤¨ में शामिल नहीं हà¥à¤à¥¤
बापू दंगे की आग में जलते बंगाल को अमन की राह पर लाने की कोशिश में लगे थे। हिंसक à¤à¥€à¤¡à¤¼ ने उन पर à¤à¥€ हमला किया जिससे आहत बापू ने आमरण अनशन शà¥à¤°à¥‚ कर दिया।
बंगाल में जब बापू से कहा गया कि वो रेडियो और अखबारों में आज़ादी का संदेश दें, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा "मैं सूख चà¥à¤•à¤¾ हूà¤, संदेश जाकर नेहरॠसे ले लो"
पंजाब का मंजर देख नेहरॠकांप उठे...पूरी रात लाहौर के गेसà¥à¤Ÿ हाउस में टहलते रहे, चिंतित नेहरॠसो नहीं पाà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई उपाय नहीं सूठरहा था।
अगली सà¥à¤¬à¤¹ नेहरॠको पता चला की अमृतसर के गांव में सिख और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ आपस में à¤à¤¿à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ वाले हैं... नेहरॠने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ नहीं मानने पर दंगा करने वालों को गोली मारने की à¤à¥€ चेतावनी दी।
जिस आज़ाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सपना नेहरॠने कà¤à¥€ देखा था, वो à¤à¤¸à¤¾ नहीं था अब सारे रासà¥à¤¤à¥‡ नेहरॠको बंद नज़र आ रहे थे।
मोहमà¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ ने शरà¥à¤¤ रखी कि आज़ाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में केनà¥à¤¦à¥à¤° की बजाय राजà¥à¤¯ सरकारों को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अधिकार दिया जाà¤, नेहरॠका मानना था कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।
आज़ादी के बाद 565 रियासतों को à¤à¤• करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² काम था... कà¥à¤› रियासतें हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के खिलाफ बग़ावत कर रही थीं... गृह मंतà¥à¤°à¥€ बलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ पटेल ने सबको बात करने के लिठमनाया।